माईगार्ड-टी
(ट्राइकोडर्मा विरीडी)
एच एस कोड: 30029030
पैकिंग: 1KG
जीवनावधि: 12 महीने
मात्रा: 1KG / एकड़
अनुकूलता
यह सभी जैविक खादों के साथ मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है ।
यह कार्बेन्डाजिम, मेटालैक्सिल या थाइरम से उपचारित बीजों पर इस्तेमाल किया जा सकता है सिर्फ मर्क्युरिअल कम्पाउंडस के साथ मत मिलाएं।
इसे किसी भी तरह की सल्फर के साथ मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है ।
इसे मैंकोजेब 75%WP(@ 0.25 ग्राम/लीटर), कार्बेन्डाजिम 50%WP(@ 0.10 ग्राम / लीटर) व कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 88% w/w (@ 0.25 ग्राम / लीटर) के साथ भी जैसे सुझाया गया है स्प्रे टैंक में मिला कर इस्तेमाल किया जा सकता है
माईगार्ड–पी एक जैविक फफूंदी नाशक है जो की रहिजोबैक्टीरिया की कोशिकाओं से युक्त है स्यूडोमोनास फलोरेसेंस जिस में पाउडर रूप में 1 x 108 जीवाणु संख्या (सीएफयू) प्रति ग्राम है। यह एक जैविक नेमाटोड नाशक व पौधे की बढ़वार की प्रतिकिर्या में भी काम करता है और सभी फसलों पर विभिन्न प्रकार की बीमारीओं के रोगाणुओं पर काबू पाने के लिए जैसे की पयनीकुलासा, आल्टेरनेरीआ, माइकोसफाइरेल्ला, पाइथियम, रहिजोक्टोनिआ, फ़ुजैरियम, बोट्रायटिस, स्क्लीरोशियम व स्क्लेरोटेनिआ जिन से की जड़ गलन, पौध गलन, उखेड़ा रोग तथा तना गलने आदि जैसे रोग उत्पन्न होते हैं पर बेहद प्रभावकारी है। धान की फसल में झंडा रोग, झुलस रोग, शीथ ब्लाइट पर नियंत्रण पाने के इलावा बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट पर भी बहुत प्रभावकारी है।
कार्य करने का ढंग:
जगह और पौषक तत्वों के लिए प्रतिस्पर्धा: माईगार्ड-टी जगह और पौषक तत्वों के लिए प्रतिस्पर्धा पैदा करके बिमारियों पर नियंत्रण करता है। यह जल्द ही अधिक जगह में अपनी बस्ती बना लेता है और लक्ष्य साइट पर उपलब्ध अधिकतम पौषक तत्वों को अपने अंदर जज़ब कर लेता है और इस तरह बीमारी वाले फफूंद का भोजन छीन कर उसे भूखा रख कर बीमारी को ख़तम कर देता है ।
प्रतिजीविता: माईगार्ड-टी बिमारी वाले फफूंद के खिलाफ एक लम्बे समय तक ऐसे कई तत्वों का रिसाव करता है जो की रोग जनक फफूंद को पूरी तरह नष्ट कर देते हैं
माईकोपैरासिटिज़िम: माईगार्ड-टी बीमारी लगने से पहले प्रयोग करने वाला जैविक फफूंदीनाशक है जो की बीमारी फैलाने वाले फफूंद को जड़ प्रणाली में पहुँचने से पहले ही काबू कर लेता है। यह तेजी से बढ़ता है और फफूंद के चारों तरफ कुंडली बना लेता है और इसके माध्यम से प्रवेश कर फफूंद के पौषक तत्वों को ले लेता है और अंत में क्षेत्र से ही बिमारी ग्रस्त फफूंद का सफाया हो जाता है
विशेषताएं
माईगार्ड-पी बीमारीओं का नियंत्रण करने के इलावा पौधे की बढ़वार का रहिजोबक्टेरिआ (पी जी पी आर) का भी काम करता है ।
बीज अंकुरण, पौधे के विकास और फसलों में जल्दी फूल व फल लाने में मदद करता है।
माईगार्ड-पी मिट्टी में नेमाटोड्स के कारण जड़ों को होने वाले नुक्सान से बचाता है। यह रोगजनक फफूंद को पौधों की जड़ों में प्रवेश होने से बचाता है।
माईगार्ड-पी का लगातार प्रयोग भूमि में सुधार लाता है। माईगार्ड-पी प्रतिरोध, पुनरुथान और अवशेषों की समस्या पैदा नहीं करता ।
माईगार्ड-पी पर्यावरण के अनुकूल है, कुदरती संतुलन को बनाये रखता है और पर्यावरण के लिए हानिरहित है।
माईगार्ड-पी IDM कार्यक्रमों में उपयोग के लिए एक अच्छा अनुरूप है।
मात्रा और उपयोग की विधि
बीज उपचार: माईगार्ड-टी की 2 से 5 ग्राम मात्रा को प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन कर बुवाई करनी चाहिए । माई गार्ड -टी की सिफारिश की गई मात्रा को चावल के दलिये या पानी मिला कर गाढ़ा पेस्ट बना लें और इसे बीज में अच्छी तरह मिला दें । बुआई से पहले 10 से 15 मिनट तक शोधित बीज को छाया में रखें और बिजाई करें ।
पौध लगने से पहले उपचार: माईगार्ड-टी की 10 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल लें पौधे की जड़ों को खेत में लगाने से पहले इस घोल में 25 से 30 मिनट तक डुबोएं और फिर पौध रोपित करें ।
नर्सरी की क्यारी में: माईगार्ड-टी 500 ग्राम 100 लीटर पानी में मिला लें, फिर क्यारी को बिजाई के बाद सींच दें या बिजाई के बाद इसे क्यारी पर स्प्रे कर दें । ध्यान रहे यह घोल 1x 10 मीटर एरिया के लिए है ।
फलों वाली फसलों के लिए: माईगार्ड-टी 250 से500 ग्राम के हिसाब से 100 लीटर पानी में घोल कर खेत में पौधों की जड़ों के नज़दीक ज़मीन में सींच दें या ड्रिप सिंचाई द्वारा दें ।
स्प्रे के लिए घोल की तैयारी: माईगार्ड-टी पानी में अच्छी तरह से मिला लें और 10 -15 मिनट तक उसे ऐसे ही पड़ा रहने दें । फिर इसे एक बर्तन में छान लें और उसी दिन इस्तेमाल कर लें । बाकी बचे छान को मिट्टी में या गोबर की खाद के ढेर पर डाल दें क्योंकि अभी भी इस में असर बाकी है ।
भूमि उपचार: माईगार्ड-टी 250 ग्राम प्रति एकड़ 25 से 30 किलोग्राम गोबर की खाद / आर्गेनिक खाद / वर्मी कम्पोस्ट में मिला कर हलके पानी का छींटा दे कर 7-8 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुआई से पूर्व आखिरी जुताई पर भूमि में मिला कर भूमि शोधन करना चाहिए या खेत में बुरकाव कर पानी से सिंचाई करें । यदि ऐसा करने में देरी हो गई हो तो माईगार्ड-टी 250 ग्राम के हिसाब से 200 लीटर पानी में घोल कर खेत में पौधों की जड़ों के नज़दीक ज़मीन में सींच दें । अच्छा नतीजा पाने के लिए ज़मीन में भरपूर नमी का होना बहुत ज़रूरी है ।